
बिलासपुर संभागायुक्त का सख्त रुख, वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने लिया संज्ञान, दलाल गिरफ्तार और दो अधिकारियों पर गिरी गाज
रायगढ़, 18 अगस्त 2025।
रायगढ़ जिले में शासकीय कार्यों की लापरवाही और गंभीर अनियमितताओं पर प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। खरसिया तहसीलदार नेहा उपाध्याय और पुसौर तहसीलदार संदीप सिंह राजपूत को बिलासपुर संभागायुक्त ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दोनों अधिकारियों पर शासकीय भूमि आवंटन, अवैध कब्जे और आंगनबाड़ी केंद्र तोड़फोड़ मामले में गंभीर आरोप लगे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र तोड़फोड़ प्रकरण और दलालों की गिरफ्तारी
17 अगस्त, रविवार को रायगढ़ के वार्ड क्रमांक 34 विनोबा नगर स्थित आंगनबाड़ी केंद्र को दलालों और कुछ शासकीय अधिकारियों की मिलीभगत से गिराने की कोशिश की गई। मोहल्लेवासियों और महापौर के हस्तक्षेप से आंगनबाड़ी बचा लिया गया, जबकि शाम तक दलालों को गिरफ्तार कर लिया गया।
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने लिया संज्ञान
इस पूरे प्रकरण पर छत्तीसगढ़ वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने स्वयं मोहल्लेवासियों से संवाद किया और कलेक्टर रायगढ़ को मामले में कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। चौधरी ने स्पष्ट कहा कि शासकीय संपत्ति से छेड़छाड़ और शासन के नाम पर दबाव डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
खरसिया तहसीलदार नेहा उपाध्याय पर गंभीर आरोप
जांच में सामने आया कि नेहा उपाध्याय ने महिला एवं बाल विकास विभाग को आबंटित भूमि का गलत तरीके से हस्तांतरण करने की अनुशंसा की। दस्तावेजों की जांच और आवंटन प्रक्रिया में उन्होंने गंभीर लापरवाही बरती। यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 का उल्लंघन पाया गया।
पुसौर तहसीलदार संदीप सिंह राजपूत पर अवैध कब्जे का आरोप
संदीप सिंह राजपूत पर आरोप है कि उन्होंने शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे और निर्माण को अनुमति दी। रिपोर्ट के अनुसार, 17 अगस्त 2025 को शासकीय भूमि पर अवैध निर्माण को स्वीकृति दी गई थी। उन पर लोक निर्माण कार्यों में भी अनियमितताओं का आरोप है।


निलंबन आदेश और शर्तें
संभागायुक्त बिलासपुर ने आदेश में दोनों तहसीलदारों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। आदेशानुसार—
निलंबन अवधि में नेहा उपाध्याय का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय रायगढ़ रहेगा।
संदीप सिंह राजपूत का मुख्यालय संभागीय आयुक्त कार्यालय बिलासपुर निर्धारित किया गया है।
इस दौरान दोनों को केवल जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त होगा।
आगे की जांच और कड़े निर्देश
संभागायुक्त ने कलेक्टर रायगढ़ को निर्देश दिया है कि विस्तृत जांच कर शीघ्र रिपोर्ट प्रस्तुत करें और दोषसिद्धि की स्थिति में आगे और कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें। यह मामला स्पष्ट संकेत देता है कि वित्त मंत्री और प्रशासन दोनों शासकीय संपत्ति की रक्षा और राजस्व विभाग में पारदर्शिता को लेकर सख्त हैं।